UP News : चंद्रशेखर इस लिये दलित युवाओं की बन रहे है पंसद, मायावती से बना रहे है दूरी

UP News लखनऊ। चंद्रशेखर के तेवर दलित युवाओं को हमेशा आकर्षित करते हैं। खुद मायावती भी चंद्रशेखर रावण की राह में तमाम रोड़े अटकाने का प्रयास करती रही हैं। मायावती के मुकाबले उन तक आसान पहुंच दलितों में लोकिप्रय बनाती है। चंद्रशेखर दलितों के बीच जाकर उनसे बात करते है इस लिये युवाओं की पसंद बनते जा रहे है।

 

बसपा सुप्रीमो का कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर रखना, पार्टी पदाधिकारियों से अपनी सुविधानुसार मिलना और चुनावों में शिकस्त मिलने के बाद किसी पर कार्रवाई नहीं करना अब उनके समर्थकों को रास नहीं आ रहा है। यही वजह है कि बसपा के वोट बैंक में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।

chandra-shekhar
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बिजनौर जिले की नगीना सीट से सांसद बने चंद्रशेखर दलितों के नए ‘नगीना’ बन गए हैं। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण की जीत के साथ ही दलित वोटों के मायावती से खिसकने के संकेत मिल रहे हैं।

बसपा सुप्रीमो की बिना गठबंधन की चुनावी सियासत तीसरी बार फेल हो गई। बीते एक दशक से विपक्षी दलों के चक्रव्यृह में फंसी बसपा अर्श से फर्श तक पहुंच चुकी है। दलित वोट बैंक में मायावती का रुतबा भी कम होता नजर आ रहा है।

नतीजे बताते हैं कि मायावती को अपनी जाति के जिस वोट बैंक पर भरोसा था, वह अब चंद्रशेखर के पाले में जाता दिख रहा है। नगीना में चंद्रशेखर को 512552 वोट मिले, जबकि बसपा प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह को महज 13272 वोट ही हासिल हुए। साफ है कि जाटवों ने भी बसपा को वोट नहीं दिया।

नगीना के अलावा डुमरियागंज सीट पर भी आजाद समाज पार्टी ने बसपा प्रत्याशी से अधिक वोट हासिल किए हैं, जो दलितों की भविष्य की बदलती राजनीति का संकेत दे रही है। डुमरियागंज में आजाद समाज पार्टी के प्रत्यााशी अमर सिंह चौधरी को 81305 वोट मिले, जबकि बसपा प्रत्याशी मोहम्मद नदीम को महज 35936 वोट ही हासिल हुए।

यही वजह है कि चंद्रशेखर को नगीना में आसान जीत मिली, जो उनकी पार्टी के लिए संजीवनी साबित हुई है। आकाश आनंद और मायावती की जनसभाओं का भी वोटरों पर कोई असर नहीं हुआ और पार्टी को हर जगह हार का सामना करना पड़ा। यह हालात आजाद समाज पार्टी के लिए मुफीद माने जा रहे हैं।

किस पाले में जाएंगे चंद्रशेखर

चुनावी नतीजे सामने आने के बाद यह चर्चा भी तेज है कि आखिर चंद्रशेखर किसके पाले में जाएंगे। चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में जगह नहीं मिलने पर चंद्रशेखर ने अकेले दम पर चुनावी समर में उतरने का फैसला लिया। नगीना से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा देकर सियासत में उनके कद में इजाफा कर दिया।