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कांशीराम के विषय में वो छह रोचक तथ्य, जिनके बारे में शायद ही जानते होंगे आप

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भूदेव भगलिया

 कांशीराम पर डॉ भीमराव अम्बेडकर Dr. Bhimrao Ambedkar की लिखी हुई किताबों का बहुत असर था। जिसकी वजह से व समाज को और मजबूत बना चाहते थे। जानिए 

1 पंजाब के रोपड़ जिले में 15 मार्च 1934 को कांशीराम Kanshiram का जन्म रामदसिया सिख परिवार में हुआ। जिन्हें अछूत माना जाता था। रामदसिया समाज ने अपना धर्म छोड़कर सिख धर्म अपना लिया था इसलिए इन्हें ‘रामदसिया सिख परिवार’ कहा जाता है। कांशीराम के पिता ज्यादा-पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देने की ठानी। कांशीराम के 2 भाई और 4 बहनें थीं। सबसे बड़े होने के साथ भाई-बहनों में वे सबसे बड़े भी थे। ग्रेजुएशन करने के बाद वे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ), पुणे में सहायक वैज्ञानिक के रूप में भर्ती हो गए।

2 1965 में कांशीराम Kanshiram ने डॉ अम्बेडकर के जन्मदिन पर सार्वजनिक अवकाश रद्द करने के विरोध में संघर्ष किया। इसके बाद उन्होंने पीड़ितों और शोषितों के हक के लिए लड़ाई लड़ने का संकल्प ले लिया। उन्होंने संपूर्ण जातिवादी प्रथा और अम्बेडकर के कार्यों का गहन अध्ययन किया और दलितों के उद्धार के लिए बहुत प्रयास किए। 1971 में उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और अपने एक सहकर्मी के साथ मिलकर अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यक कर्मचारी कल्याण संस्था की स्थापना की। यह संस्था पूना परोपकार अधिकारी कार्यालय में पंजीकृत की गई थी। हालांकि, इस संस्था का गठन पीड़ित समाज के कर्मचारियों का शोषण रोकने हेतु और असरदार समाधान के लिए किया गया था, लेकिन इस संस्था का मुख्य उद्देश्य था लोगों को शिक्षित और जाति प्रथा के बारे में जागृत करना। धीरे-धीरे इस संस्था से अधिक से अधिक लोग जुड़ते गए जिससे यह काफी सफल रही। सन् 1973 में कांशीराम ने अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर (बैकवार्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्प्लॉई फेडरेशन) की स्थापना की।

3 कांशीराम पर डॉ भीमराव अम्बेडकर की लिखी हुई किताबों का बहुत असर था। 1962-63 में कांशीराम Kanshiram ने एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा था “बाबा साहब अम्बेडकर की लिखी किताब में पढ़कर मैं सोच में पड़ गया था कि क्या समाज से कभी जातिवाद का उन्मूलन हो पाएगा? लेकिन बाद में जब मैंने जाति व्यवस्था का गहराई से अध्ययन किया तो मेरे विचारों में काफी बदलाव आया। इस किताब को पढ़कर न सिर्फ मेरी समझ बढ़ी बल्कि व्यक्तिगत जीवन में काफी बदलाव आया। भारतीय समाज में इसकी जरुरतों को समझते हुए मैंने जाति के विनाश के बारे में सोचना बंद कर दिया” इसके अलावा कांशीराम पर उनकी लिखी किताबों में से पढ़ने का भी असर रहा।

4 डीके खापडे DK Khapade का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर में 13 मई 1939 में हुआ था। खापडे को कांशीराम के साथ ‘बामसेफ’ BAMCEF की स्थापना के लिए जाना जाता है। बाद में वो बामसेफ के अध्यक्ष भी बने। खापडे पुणे में रक्षा प्रतिष्ठान में शामिल हो गए थे। यहां पर अम्बेडकर की विचारधारा वाले एक आंदोलन के दौरान उनकी मुलाकात कांशीराम से हुई। 1978 में ‘बामसेफ’ को डीके खापडे के साथ मिलकर कांशीराम ने दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में दलित कर्मचारियों का संगठन मजबूत बनाया।

5  1980 में उन्होंने ‘अम्बेडकर मेला’ Ambedkar mela नाम से पद यात्रा शुरू की। इसमें अम्बेडकर के जीवन और उनके विचारों को चित्रों और कहानी के माध्यम से दर्शाया गया। 1984 में कांशी राम ने ‘बामसेफ’ के समानांतर दलित शोषित समाज संघर्ष समिति की स्थापना की। इस समिति की स्थापना उन कार्यकर्ताओं के बचाव के लिए की गई थी, जिन पर जाति प्रथा के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हमले होते थे। हालांकि, यह संस्था पंजीकृत नहीं थी लेकिन यह एक राजनीतिक संगठन था। 1984 में कांशीराम ने ‘बहुजन समाज पार्टी’ Bahujan samaj party’के नाम से राजनीतिक दल का गठन किया। 1986 में उन्होंने यह कहते हुए कि अब वे बहुजन समाज पार्टी के अलावा किसी और संस्था के लिए काम नहीं करेंगे, अपने आपको सामाजिक कार्यकर्ता से एक राजनेता के रूप में परिवर्तित किया।

6 1991 में कांशीराम ने पहली बार यूपी के इटावा से लोकसभा का चुनाव जीता। 1996 में दूसरी बार लोकसभा का चुनाव पंजाब के होशियारपुर से जीते। 2001 में सार्वजनिक तौर पर घोषणा कर मायावती को उत्तराधिकारी बनाया। 9 अक्टूबर 2006 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई। कांशीराम की अंतिम इच्छा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार बौद्ध रीति-रिवाज से किया गया

This post was last modified on 09/02/2022 08:39

Bhoodev Bhagalia

जागरूक यूथ न्यूज डिजिटल में सीनियर डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर है। पत्रकारिता की शुरुआत हिन्दुस्तान अखबार, अमर उजाला, समर इंडिया होते हुए जागरूक यूथ न्यूज में पहुंचा। लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश। राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों में रुचि।

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