अमरोहा। प्रतिनिधि
प्यार में अंधी शबनम ने अपने ही परिवार के सात लोगों की जिंदगी एक ही रात में खत्म कर दी। वह जितना सलीम से प्यार करती थी उसे कहीं ज्यादा अपने परिवार वालों से नफरत, क्योंकि घरवाले शबनम के और सलीम के प्रेम संबंध में बाधा बन रहे थे। हत्या करने के बाद जिस तरह शबनम रो रही थी, किसी ने नहीं सोचा था कि वह हत्यारी हो सकती है.
जब राज खुला तो लोगों के होश उड़ गए. एक बेटी ने ही अपनों को मौत के घाट उतार दिया था। मामले में शबनम को दोषी पाया गया और उसे फांसी की सजा दे दी गई।
अमरोहा मर्डर केस को आज भी लोग याद करते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं बावनखेड़ी गांव के लोग आजतक उस रात को नहीं भुला पाए हैं।
बीते कई महा पहले जिला जज के निर्देश पर सरकारी वकील ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी थी। जिसमें बताया गया है था कि शबनम की एक दया याचिका राज्यपाल के पास लंबित है। वहीं शबनम के वकील ने फांसी की सजा टालने के लिए तीन मजबूत दलीलें अदालत में पेश की हैं। वैसे भी फांसी से बचने के लिए शबनम अलग-अलग पैंतरे अपना रही है।
सविधान में एक ऐसा भी प्रवाधान है कि अगर कोई प्रार्थना पत्र या याचिका लंबित होती है तो डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता है, ऐसा नियम है. दया याचिका सिर्फ दो बार दायर करने का अधिकार होता है। राष्ट्रपति पहले ही शबनम की एक दया याचिका खारिज कर चुके हैं लेकिन दूसरी दया याचिका राज्यपाल के पास लंबित है। आखिर वो तीन दलीलें कौन सी हैं जो शबनम को फांसी से बचा सकती हैं?
वकील ने दी तीन दलीलें
1. शबनम के बेटा
अपनी दलील में शबनम ने 12 साल के बेटे ताज का भी हवाला दिया है. जब शबनम ने इस जघन्य घटना को अंजाम दिया था तब वो प्रेग्नेंट थी। शबनम ने जेल में ही बेटे को जन्म दिया था। जन्म के बाद 6 साल 7 महीने तक बेटा मां शबनम के साथ जेल में ही रहा. वहीं 30 जुलाई 2015 को बाल कल्याण समिति ने बच्चे की बेहतर परवरिश की वजह से उसे बुलंदशहर के रहने वाले एक दंपति को सौंप दिया था। बेटे ने भी अपनी मां की सजा माफ करने के लिए राष्ट्रपति से गुहार लगाई है और अपील की है।
2.हरियाणा का सोनिया कांड
जानाकरी के अनुसार सोनिया कांड, यह मामला 23, अगस्त 20021 का है. जिसमें विधायक रेलूराम पूनिया समेत 9 लोगों की हत्या कर दी गई थी. जिसका आरोप विधायक रेलूराम पूनिया की बेटी और दामाद पर लगा था. बेटी-दामाद ने विधायक पूनिया समेत उनकी दूसरी पत्नी कृष्णा, बेटी प्रियंका, बेटा सुनील, बहू शकुंतला, चार साल के पोते लोकेश, दो साल की पोती शिवानी और तीन महीने की प्रीती की बेरहमी से हत्या कर दी थी. मामले की जांच में दोनों को दोषी पाया गया था. इस मामले में हिसार कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे उम्र कैद में बदल दिया था. वहीं जब सुप्रीम कोर्ट में मामले की अपील हुई तो दोनों को दोबारा फांसी की सजा तो सुनाई गई लेकिन दया याचिका के आधार पर फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील हो गई थी।
3.देश में नहीं हुई किसी महिला को फांसी
शबनम ने अपनी दलील में यह बात भी कही है कि देश में किसी भी महिला को अभी तक फांसी नहीं हुई है. शबनम के अलावा सीरियल किलर दो बहनों रेणुका और सीमा को भी फांसी की सजा सुनाई गई है। दोनों बहनों के ऊपर 42 बच्चों के हत्या का दोष है। दोनों बहनें 24 साल से पुणे के यरवदा जेल में बंद हैं. इन्हें अभी तक सजा नहीं हुई है।