दिल्ली-वेस्ट यूपी समेत पूरे उत्तर भारत में आये भूकंप के झटके, क्या इन इलाकों में खतरा

नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों में इसे महसूस किया गया। तीन दिन में दूसरी बार भूकंप के झटके लगने से लोग सहम गए और घरों से बार निकल आए। भूकंप का केंद्र एक बार फिर नेपाल में था। इससे पहले शुक्रवार रात नेपाल में आए तेज भूकंप की वजह से भी उत्तर भारत के अधिकतर इलाकों में झटके लगे थे।

4.16 मिनट पर नेपाल में 5.6 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप का केंद्र उत्तर प्रदेश के अयोध्या से 233 किलोमीटर उत्तर में नेपाल में बताया जा रहा है। जमीन से नीचे 10 किलोमीटर इसका केंद्र था। आमतौर पर कहीं भूकंप आने के बाद कई बार झटके आते हैं, जिन्हें आफ्टरशॉक कहा जाता है। लेकिन ये आमतौर पर हल्के दर्जे के होते हैं। हालांकि, 5.6 तीव्रता का भूकंप मध्यम दर्जे का माना जाता है। भूकंप से किसी तरह के नुकसान की जानकारी फिलहाल नहीं है।

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दिल्ली-एनसीआर की ऊंची इमारतों में झटके को अधिक महसूस किया गया। लोग झटका लगते ही सीढ़ियों की सहारे नीचे की ओर भागे। दोपहर का समय होने की की वजह से कामकाजी लोग दफ्तरों में थे। कई दफ्तरों के बाहर कर्मचारियों की भीड़ लग गई। महज चार दिनों में 2 बार भूकंप आ जाने से लोग डरे गए हैं। सोशल मीडिया पर भी भूकंप को लेकर लोग अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। कई लोगों ने घर में पंखे, झूमर को हिलते हुए कैमरे में कैद किया।

 

पृथ्वी में बार-बार महसूस हो रही इस हलचल ने चिंता बढ़ा दी है। सवाल उठ रहा है कि क्या हिमालयी इलाकों में भूकंप का जोरदार झटका आने वाला है। वैज्ञानिक भी इसे लेकर चेतावनी देते रहे हैं। अनुमान है कि हिमालयन रीजन में 8.5 से भी अधिक तीव्रता का भूकंप आ सकता है। भारतीय भूकंपविज्ञानियों के नेतृत्व में 2018 में एक स्टडी पूरी हुई। इसमें बताया गया कि उत्तराखंड से पश्चिमी नेपाल तक फैला मध्य हिमालय भविष्य में कभी भी प्रभावित हो सकता है। बेंगलुरु में जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च के शोधकर्ताओं ने पिछले विनाशकारी भूकंपों से तुलना की है।

अब तक आए बड़े भूकंपों की हुई स्टडी

2015 में नेपाल में आए जोरदार भूकंप में करीब 9,000 लोगों की जान चली गई। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 8.1 मापी गई। 2001 में गुजरात में विनाशकारी भूकंप आया था। इसकी चपेट में आने से 13,000 से अधिक लोगों की मौतें हुईं, जिसकी तीव्रता 7.7 दर्ज की गई। भूकंप को लेकर अध्ययन से मिले नतीजे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के जियोग्लोबल डेटा व मानचित्रों, गूगल अर्थ इमेजरी और इसरो की सैटेलाइट इमेजरी पर आधारित हैं। स्टडी से संकेत मिला कि 14वीं और 15वीं शताब्दी के बीच मध्य हिमालय में विनाशकारी भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता 8.5 और 9 रही। इससे 600 किलोमीटर का भूभाग प्रभावित हुआ था।

छोटे भूकंपों को क्यों नहीं कर सकते नजरअंदाज

मध्य हिमालय में लगातार कम तीव्रता वाले भूकंप आए हैं। मगर, कई शताब्दियों से कोई बड़ी भूकंपीय गतिविधि नहीं देखी गई। यह स्थिति इस क्षेत्र में तनाव के निर्माण का संकेत देती है, जिससे निष्कर्ष निकला कि एक बड़ा भूकंप आने में देर हो गई है। चेतावनियों के बावजूद अक्टूबर में नेपाल में आए भूकंप ने विज्ञानियों को हैरान कर दिया। दरअसल, हिमालय के नीचे दबाव बन रहा है, जो कि यूरेशियन प्लेट और भारतीय प्लेट की सक्रिय सीमा पर स्थित है। एक्सपर्ट्स का मानना ​​रहा है कि छोटे भूकंपों को सामान्य घटना के रूप में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, बल्कि इसे आने वाले बड़े भूकंप की आहट मान सकते हैं। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है।