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रामपुर। नेटवर्क

यूपी के दो लोकसभा सीटों पर हुए मतदाना होने के बाद आज परिणाम आये तो सपा को झटका और भाजपा BJP  फिर से इतिहास रचाने में कामयाब रही।

एक तरफ उसने spसमाजवादी पार्टी के गढ़ रहे आजमगढ़ में दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को जीता लिया है तो वहीं दूसरी तरफ आजम के गढ़ कहे जाने वाले रामपुर में भी ऐतिहासिक जीत हासिल की है।

रामपुर rampur लोकसभा सीट पर यह चौथा मौका है, जब भाजपा ने जीत हासिल की है। आजम खान के समर्थक सपा प्रत्याशी मोहम्मद आसिम रजा को 3 लाख 25 हजार के करीब वोट ही मिले, जबकि भाजपा कैंडिडेट घनश्याम लोधी को 3 लाख 67 हजार वोट मिले हैं और उन्होंने करीब 42 हजार वोटों से जीत हासिल कर ली।

इस फैक्टर्स के चलते भाजपा को मिला वोट

रामपुर लोकसभा सीट पर भाजपा की जीत के पीछे बसपा के वोटों का ट्रांसफर होना भी माना जा रहा है। 2019 में सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था और यह सीट सपा के खाते में गई थी। लेकिन इससे पहले 2014 की बात करें तो भाजपा के दिवंगत नेता डॉ. नेपाल सिंह को जीत मिली थी। तब कहा गया था कि बसपा और कांग्रेस ने भी मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए थे और इसी के चलते सपा हार गई। इस बार बसपा और कांग्रेस ने उम्मीदवार ही नहीं उतारा था।

इन तीन वजहों से मिली जीत

जानकारों की माने तो सपा और भाजपा के बीच सीधे मुकाबले में भगवा दल की जीत के पीछे तीन वजहें हैं। एक तो भाजपा ने ओबीसी उम्मीदवार उतारा था, दूसरा बसपा के दलित वोटों का ट्रांसफर भाजपा के पक्ष में हुआ। तीसरा कांग्रेस नेता नवाब काजिम अली खान की ओर से भाजपा को समर्थन का ऐलान किया जाना।

यदि हम 2014 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों की बात करें तो इसमें सच्चाई भी जान पड़ती है। 2014 में नेपाल सिंह को 3 लाख 58 हजार मत मिले थे, जबकि सपा के नसीर अहमद को 3 लाख 35 हजार के करीब वोट हासिल हुए थे। वहीं कांग्रेस के नवाब काजिम अली खान डेढ़ लाख से ज्यादा वोट ले गए थे और बसपा के अकबर हुसैन भी 81,000 वोट हासिल करने में सफल हुए थे।